IAS Arth Jain : पिता से प्रेरणा लेकर बेटे ने शुरू की यूपीएससी परीक्षा की तैयारी, 16वीं रैंक हासिल कर बनें IAS अधिकारी
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IAS Arth Jain : किसी शख्स का निर्माण उसके समाज से होता है, समाज में बहुत बड़ा रोल उसके परिवार का होता है। लोग अपने बचपन से ही अपने आस-पास की चीज़ों से प्रभावित होते है और अपना निर्माण करते है। इसी निर्माण के दौरान वो अपना भविष्य तय करता है। आज हम आपको जिस IAS अधिकारी की बात हम करने जा रहे हैं उनके सिविल सेवा में जाने के पीछे का मूल कारण बचपन से ही अपने पिता को एक IPS अधिकारी के रूप में काम करते देखना है।
इनका नाम है अर्थ जैन जिन्होंने साल 2021 में अच्छी खासी रैंक हासिल कर अपना और अपनों का सपना पूरा किया. अर्थ बताते हैं कि वो बचपन से ही अपने पिता से काफी प्रेरित और प्रभावित होते रहे. उनके पिताजी ने उनको हमेशा पूरा सपोर्ट किया और परिवार के इसी सपोर्ट और अर्थ की मेहनत की बदौलत उन्होंने यूपीएससी जैसी परीक्षा पास कर अपने परिवार का नाम रोशन किया.
कौन हैं (IAS Arth Jain) आईएएस अर्थ जैन
अर्थ जैन मध्य प्रदेश के जबलपुर के रहने वाले हैं। इनके पिता मुकेश जैन एक IPS अधिकारी हैं और मध्य प्रदेश में ट्रांसपोर्ट कमिश्नर के पद पर कार्यरत हैं. उन्होंने अपने पिता से अनुशासन में रहना सीखा जो उनकी तैयारी के दौरान काफी फायदेमंद साबित हुआ. अर्थ की शुरुआती पढ़ाई जबलपुर से ही पूरी हुई और उसके बाद उन्होंने IIT दिल्ली से इंजिनियरिंग करने का मन बनाया. कॉलेज के दिनों में कई सहपाठियों को upsc की तैयारी करते देख उन्होंने भी कॉलेज के तीसरे साल से ही तैयारी शुरू कर दी थी.
एक साक्षात्कार में उन्होंने बताया है कि उनकी तैयारी में उनके परिवार ने पूरा साथ दिया. उन्होंने बताया कि पिता जी कहते थे कि असफलता मिलने पर बिलकुल निराश नहीं होना चाहिए. उनकी इसी बात को मूलमंत्र मानकर वो अनुशासित रहकर तैयारी करते रहे. यही वजह थी कि कॉलेज से ग्रेजुएशन की पढ़ाई पूरी करने के बाद उन्होंने यूपीएससी की तैयारी पूरी तरह से शुरू कर दी.
असफलता मिलने पर परिवार ने बढ़ाया हौसला
परिवार का सिविल सेवा से जुड़ा बैकग्राउंड होने के बाद भी पहले प्रयास में अर्थ प्रारंभिक परीक्षा में ही दौड़ से बाहर हो गए, जो की थोड़ा निराशाजनक था। अर्थ बताते हैं पहली बार में असफल होने के बाद इनके पिता ने इन्हें खूब समझाया और कहा की upsc आम परीक्षाओं से अलग है इसमें 3-4 साल का समय आराम से लग सकता है, तो निराश होने की जरूरत नहीं है. मेहनत करते रहो कामयाबी ज़रूर मिलेगी.
इसके बाद अर्थ ने अपनी कमियों पर काम करना शुरू किया। उन्होंने पढ़ाई का समय बढ़ा दिया और अब 10-11 घण्टे पढ़ना शुरू कर दिया। इस बार अपना रुटीन बिलकुल नहीं बदला लगातार उसी रुटीन पर चलते रहे। अर्थ ने बताया की अभ्यर्थियों को सोशल मीडिया का पूरा लाभ उठाना चाहिए. यूट्यूब जैसे मंचों पर निःशुल्क अच्छी शिक्षा वे ले सकते हैं और तैयारी के लिए दिन और महीनों को बाँटकर एक शेड्यूल तैयार करना चाहिए और उसपर काम करना चाहिए उनके इस बदलाव का परिणाम हमारे सामने है।
16वीं रैंक हासिल कर बने IAS अधिकारी
साल 2019 में प्रीलिम्स भी न निकाल पाने वाले अर्थ ने अगले ही साल 2020 में 16वीं रैंक के साथ परीक्षा पास की। जब वो फेल हुए थे तब उनके पिताजी ने कहा था कि बच्चे सफ़ल होते हैं तो खुशी तो होती है लेकिन जब बच्चे फेल होते हैं उन्हें परिवार की जरूरत तब सबसे ज़्यादा होती है.
उन्होंने अर्थ का पूरा साथ दिया. पिता के इस रवैय्ये ने अर्थ को बहुत ज़्यादा प्रेरित किया और परिणाम ये रहा की वो अंततः अपना सपना पूरा कर पाए और IAS अफसर बन गए। अर्थ उन सभी लोगों के लिए प्रेरणास्रोत हैं जो पहली बार में ही हार मान लेते हैं, अर्थ की कहानी से ये साफ झलकता है कि डटकर सामना करते रहना चाहिए सफलता ज़रूर मिलेगी
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