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ajit jogi death : छत्तीसगढ़ के पूर्व मुख्यमंत्री अजीत जोगी की अचानक तबियत खराब हो गई। अजीत जोगी के अचानक सीने में दर्द हुआ और उनकी मृत्यु हो गई। करीब 20 दिनों से छत्तीसगढ़ में रायपुर के श्री नारायण अस्पताल में भर्ती थे । वो काफी समय से ICU में भर्ती थे . 74 साल अजीत जोगी डॉक्टरों ने 45 मिनट तक बचाने की काफी कोशिश कीं, लेकिन उन्हें बचाया नहीं जा सका.
अजीत जोगी के बेटे अमित जोगी ने अपने सोशल मीडिया अकाउंट से ट्वीट कर पिता अजीत जोगी के निधन की जानकारी दी।
ajit jogi death : नक्सली इलाकों से गहरा नाता
अजीत जोगी कांग्रेस के दिग्गज नेता थे. छत्तीसगढ़ की राजनीति में उनकी अच्छी पकड़ थी । जो छत्तीसगढ़ नक्सली गढ़ माना जाता है, उसी छत्तीसगढ़ से एक बड़ा नेता उभरकर निकला सपनों का सौदागर अजीत जोगी। ये बात जोगी खुद कहते थे कि वो सपनों के सौदागर हैं और सपने बेचते हैं।
साल 2000 में अजीत जोगी छत्तीसगढ़ के पहले मुख्यमंत्री बने। हालांकि अजीत जोगी 2003 में विधानसभा चुनाव हार गए। साल 2008 और साल 2013 में भी उन्हें हार का सामना करना पड़ा।
सपनों के सौदागर का राजनीतिक करियर
अजीत जोगी 2 बार कांग्रेस से राज्यसभा सांसद रह चुके हैं। जोगी साल 1986 से 1998 के बीच दो बार राज्यसभा सांसद रहे। साल 1998 में उन्हें रायगढ़ की जनता ने सांसद चुना। साल 1998 से 2000 के बीच जोगी कांग्रेस के प्रवक्ता बने।
इसके बाद साल 2000 में कांग्रेस ने उन्हें छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री का चेहरा बनाया और वो छत्तीसगढ़ के पहले मुख्यामंत्री बने। साल 2004 उन्होंने लोकसभा चुनाव लड़ा। साल 2004 और 2008 के बीच अजीत जोगी 14वीं लोकसभा के सांसद रहे। इसके बाद साल 2008 में अजीत जोगी मरवाही विधानसभा सीट से जीतकर विधानसभा पहुंचे।
साल 2009 के लोकसभा चुनावों के बाद उन्होंने लोकसभा सदस्य छत्तीसगढ़ के महासामुंद निर्वाचन क्षेत्र के रूप में काम किया। हालांकि तमाम काम करने के बाद अजीत जोगी 2014 में लोकसभा चुनाव में हार गए औऱ अपनी सीट भी बरकरार नहीं रख पाए। बीजेपी के चंदू लाल साहू ने उन्हें महज 133 वोट से हरा दिया था।
विवादों से भी रहा नाता
अजीत जोगी पर टिकट के लिए खरीद फरोख्त के आरोप भी लग चुके हैं। अजीत जोगी पर कांग्रेस के प्रत्याशी से खरीद फरोख्त की बात काफी विवादों में रही थी । दोनों की बातचीत का ऑडियो सामने आने के बाद मामले ने काफी तूल पकड़ा था।
दरअसल 2014 में छत्तीसगढ़ के अंतागढ़ में उपचुनाव होने थे। कांग्रेस ने मंतूराम को प्रत्याशी बनाया था। लेकिन आखिरी दिन मंतूराम ने पार्टी को बिना बताए अपना नाम वापस ले लिया। इसके बाद 2015 में एक ऑडियो टेप सामने आया। जिसमें खरीद-फरोख्त की बातें सा्मने आईं।
आरोप लगे कि टेप में अजीत जोगी, उनके बेटे अमित जोगी और तत्कालीन सीएम डॉ. रमन सिंह के दामाद पुनीत गुप्ता की आवाज थी। ऑडियो में बातचीत से पता चला कि मंतूराम पंवार के चुनाव से नाम वापस लेने के बारे में बात की गई।
ऑडियो टेप लीक होने के बाद कांग्रेस ने कार्रवाई की और छत्तीसगढ़ की प्रदेश कांग्रेस कमेटी ने अजीत जोगी के बेटे अमित जोगी को 6 साल के लिए पार्टी से निकाल दिया। यहां तक आरोप की वजह से अजीत जोगी को भी पार्टी से निकालने की मांग की गई।
आरोप के बाद बनाई अलग पार्टी
बेटे को पार्टी से निकालने औऱ आरोप के बाद अजीत जोगी ने कांग्रेस को अलविदा कह दिया। और 2016 में जनता कांग्रेस छत्तीसगढ़ जोगी (JCCJ) के नाम से एक नई पार्टी का गठन किया।
बता दें छत्तीसगढ़ की राजनीति में बीजेपी और कांग्रेस ही दो मुख्य पार्टी हैं जिनका राज्य में सिक्का चलता है। छत्तीसगढ़ में 2 पार्टी तो थी ही बस कमी थी तो बस किसी मजबूत क्षेत्रीय दल की। ऐसे में राज्य में अच्छी पकड़ रखने वाले अजीत जोगी सामने आए औऱ बसपा के साथ गठबंधन कर लिया।
इस उम्मीद में की वो राज्य में किंगमेकर की भूमिका अदा करेंगे। लेकिन ऐसा कुछ नहीं हुआ और गठबंधन फ्लॉप हो गया। छत्तीसगढ़ में कांग्रेस को जीत मिली और जोगी को महज 5 सीटें। बता दें अजीत जोगी मरवाही विधानसभा से विधायक हैं।
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