Shikha Surendran ias : गरीब किसान ने बेटी को अधिकारी बनने की उम्मीद से पढ़ाया, IAS अधिकारी बनकर किया पिता का सपना पूरा

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Shikha Surendran ias : मनुष्य की फितरत ही गलतियां करना है। हर कोई अपनी जिंदगी में तमाम तरह की छोटी-बड़ी गलतियां करता है, लेकिन गलती होने के बाद जो उससे सबक सीखता है, उनमें सुधार करता है। वो शख्स जिंदगी की दौड़ में आगे निकलता चला जाता है और उसे किसी तरह की बाधा रोक नहीं पाती। ऐसा इंसान अपनी एक अलग पहचान बनाता है। आज हम आपके लिए एक ऐसी ही प्रेरणादायक कहानी लेकर आए हैं जिसे हर किसी को हमेशा याद रखना चाहिए। आज हम बात करने जा रहे हैं शिखा सुरेंद्रन की। शिखा IAS Topper टॉपर हैं।

यूं तो तमाम लोगों का सपना होता है कि वो सिविल सेवा परीक्षा में पास होकर IAS अफसर बनें। इसके लिए वो काफी लंबा संघर्ष भी करते हैं। शिखा ने भी इस परीक्षा के लिए कठिन परिश्रम किया, लेकिन खास बात ये है कि शिखा ने अपने पिता का सपना पूरा करने के लिए UPSC का ये बेहद कठिन रास्ता चुना।

कौन हैं (Shikha Surendran ias) शिखा सुरेंद्रन

मूल रूप से केरल की रहने वाली शिखा ने इंटरमीडिएट के बाद B.Tech की डिग्री हासिल की है। शिखा के पिता का सपना था कि वो IAS अफसर बनें। पिता के सपने को पूरा करने के लिए आगे बढ़ीं शिखा को शुरुआत में UPSC की ज्यादा जानकारी नहीं थी। ग्रेजुएशन के बाद तैयारी के लिए वह दिल्ली आ गई। जहां उन्होंने एक कोचिंग ज्वाइन की।

Shikha Surendran ias : गरीब किसान ने बेटी को अधिकारी बनने की उम्मीद से पढ़ाया, IAS अधिकारी बनकर किया पिता का सपना पूरा 2

शिखा के मुताबिक UPSC का पूरा सिलेबस अच्छी तरह से समझने में उन्हें करीब 4 महीने का वक्त लग गया था। कुछ महीनों तक तो उन्होंने दिल्ली में रहकर तैयारी की लेकिन बाद में वो केरल वापस लौट आईं। उन्होंने घर पर रहकर ही कड़ी मेहनत के साथ सेल्फ स्टडी की और खुद को UPSC की परीक्षा के लिए पूरी तरीके से तैयार कर लिया।

तैयारी होने के बाद रिवीजन जरूरी

शिखा बताती है कि परीक्षा की पूरी तैयारी होने के बावजूद रिवीजन ना करने की वजह से वो अपने पहले प्रयास में चुक गईं। शिखा का मानना है कि UPSC की तैयारी के मद्देनजर जब एक बार सिलेबस अच्छी तरह से खत्म हो जाए, तो रिवीजन करना बेहद जरूरी हो जाता है।

तैयारी पूरी होने के बाद ज्यादा से ज्यादा मॉक टेस्ट पेपर सॉल्व करना चाहिए ताकि तैयारी का स्तर पता चलता रहे। इस बीच जो भी कमियां नजर आएं उसे सुधारते रहना भी महत्वपूर्ण है।

दूसरे प्रयास में मिली सफलता, बनीं टॉपर

पहले की गलतियों से सीखते हुए शिखा सुरेंद्रन ने अपनी कमियों को सुधारा और दूसरे प्रयास में सफलता अर्जित की। उन्होंने अपने पिता का सपना पूरा करते साल 2017 में ऑल इंडिया 16वीं रैंक हासिल की, जोकि एक बड़ी उपलब्धि है। शिखा की इस सफलता से उनके पिता समेत पूरा परिवार अब गदगद है।

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