IAS Dilip Kumar : अंग्रेजी में यूपीएससी परीक्षा दी तो नहीं मिली सफलता, हिंदी भाषा ने दिलाई सफलता और बन गए IAS अधिकारी

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IAS Dilip Kumar : सिविल सेवा में जाने का सपना लाखों युवा हर साल देखते हैं। इसके लिए घंटों पढ़ाई करते हैं, सालों कड़ी मेहनत करते हैं लेकिन फिर भी सभी का सपना पूरा नहीं हो पाता है। मंजिल उन्हीं को मिलती है, जो ना सिर्फ परिश्रम करते हैं बल्कि सकारात्मक सोच और मजबूत इरादों के साथ आगे बढ़ते हैं। UPSC की परीक्षा में पास होने का कोई शॉर्टकट नहीं है।

इस परीक्षा का एक फॉर्मेट है, जिसे हर किसी को फॉलो करना होता है। भाषा को लेकर भी कई लोगों को समस्या का सामना करना पड़ता है। आज हम आपको एक ऐसे ही UPSC कैंडिडेट की कहानी बताने जा रहे हैं जिनको इसी तरह की परेशानी का सामना करना पड़ा, लेकिन आखिरकार उन्होंने सफलता हासिल की। इस पोस्ट में हम बताने जा रहे हैं IAS Topper दिलीप कुमार के बारे में। दिलीप कुमार की कहानी बेहद प्रेरणादायक है।

कौन है (Dilip Kumar IAS) दिलीप कुमार

दिलीप कुमार की पढ़ाई-लिखाई हिंदी मीडियम स्कूल से हुई है और उनके बोलचाल की भाषा भी हमेशा से हिंदी रही है। दिलीप हमेशा से ही अन्य छात्रों की तरह IAS बनने का सपना देखते थे। इसके लिए उन्होंने शुरुआत से ही कड़ी मेहनत भी की। दिलीप के मुताबिक उन्हें हर हाल में ये परीक्षा पास करनी थी लेकिन भाषा एक बड़ी समस्या थी।

उन्होंने दो बार UPSC Mains Exam निकाला और अंग्रेजी में दो बार इंटरव्यू दिया, लेकिन उनका चयन नहीं हुआ। दिलीप बताते हैं कि उन्होंने साल 2018 में 73वीं रैंक हासिल की थी लेकिन उन्हें अंग्रेजी में इंटरव्यू देने के चलते अच्छा स्कोर नहीं मिल पाया। इसी तरह साल 2016-17 में भी अंग्रेजी में दिए गए इंटरव्यू में उनको 143 नंबर ही मिल पाए थे।

हर हाल में हासिल करनी यूपीएससी परीक्षा में सफलता

दिलीप का सपना IAS बनने का था, इसलिए उन्होंने हार नहीं मानी। दिलीप रणनीति बनाकर आगे बढ़े और उन्होंने तीसरे अटेम्प्ट का इंटरव्यू हिन्दी भाषा में दिया। साल 2019 में हिंदी में दिए इंटरव्यू में उन्होंने 179 अंक हासिल किए साथ ही ओवरऑल 73वीं रैंक पाकर सफलता का पहाड़ चढ़ गए। आज दिलीप IAS की कुर्सी पर बैठे हैं।

IAS Dilip Kumar : अंग्रेजी में यूपीएससी परीक्षा दी तो नहीं मिली सफलता, हिंदी भाषा ने दिलाई सफलता और बन गए IAS अधिकारी 1

IAS Topper दिलीप का मानना है कि इंटरव्यू में जितनी नॉलेज की जरूरत है, उससे कहीं ज्यादा पर्सनैलिटी की जरूरत होती है। भाषा जो भी हो इंरटव्यू के दौरान बोर्ड के सामने ब्लफ नहीं करना चाहिए, क्योंकि वहां बैठे अनुभवी लोग तुरंत चीजों को समझ जाते हैं। इसके अलावा दिलीप बताते हैं इंटरव्यू से पहले एक फॉर्म भरना होता है, जिसमें अपनी हॉबीज के बारे में जानकारी देनी होती है। उस फॉर्म को सोच समझकर भरना चाहिए क्योंकि इंटरव्यू में उससे जुड़े सवाल पूछे जाते हैं। अन्य यूपीएससी कैंडिडेट्स को भी वो यही सलाह देते हैं।

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