Asker ali IAS : गरीबी में खेतों में मजदूरी कर पाला पेट, बचपन का सपना पूरा करने के लिए की यूपीएससी परीक्षा की तैयारी और बनें IAS अधिकारी

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Asker ali IAS : मेहनती इंसान जिंदगी की दौड़ में कभी पीछे नहीं रहता। जीवन में मुश्किलें तो तमाम आएंगी, लेकिन सही दिशा में किया गया कड़ा परिश्रम आपको सफलता तक पहुंचा ही देगा। आज की हमारी कहानी भी एक ऐसे शख्स से जुड़ी है जो मेहनत करने से कभी पीछे नहीं हटा। आज हम बात कर रहे हैं आईएएस अस्कर अली की। खेतों में मजदूरी करने वाले अस्कर ने जिंदगी में तमाम चुनौतियों का सामना किया और आखिरकार उन्होंने अफसर की कुर्सी हासिल की।

उनकी कहानी ऐसे युवाओं के लिए प्रेरणा हो सकती है जो सफलता की चाह में मेहनत तो करते हैं लेकिन असफलता मिलने पर निराश होकर अपने मार्ग से भटक जाते हैं. अस्कर ने ना सिर्फ आर्थिक समस्याओं का सामना किया बल्कि समाजिक भेदभाव का सामना करते हुए तैयारी करते रहे. आइए जानते हैं अस्कर ने कैसे यूपीएससी मुश्किल हालातों का सामना करते हुए इस परीक्षा में सफलता हासिल की.

कौन हैं (Asker ali IAS) आईएएस अस्कर अली

मणिपुर के एक छोटे से समुदाय मीतेई-पंगल से ताल्लुक रखने वाले अस्कर अली बताते हैं कि जब वो 9वीं कक्षा में थे, तभी उन्होंने IAS बनने का सपना देख लिया था। अस्कर बताते हैं कि स्कूल के दिनों में जब उन्होंने अपने माता-पिता के साथ खेतों में काम किया, तभी से उनके मन में मेहनत करने की भावना पैदा हो गई थी। IAS बनने के सफर में इसी भावना ने कभी पीछे मुड़कर देखने नहीं दिया और अस्कर जिंदगी के मुकाम को हासिल करने के लिए आगे बढ़ते रहे।

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अस्कर ने दिल्ली युनिवर्सिटी से फिजिक्स में ग्रेजुएशन करने के बाद UPSC की तैयारी शुरू की थी। अस्कर के IAS बनने का सफर चुनौतीपूर्ण इसलिए भी रहा क्योंकि उन्हें समाज के तानों का सामना करना पड़ा। अस्कर के साथ आर्थिक चुनौतियां भी थी, बावजूद इसके उन्होंने अपनी तैयारी में कभी कमी नहीं आने दी।

बेहतर भविष्य की चाबी है शिक्षा

2015 में अस्कर सिविल सेवा परीक्षा में सफल होने वाले अपने राज्य के इकलौते शख्स थे। उन्होंने 167वीं रैक हासिल कर अपने राज्य और समुदाय का नाम रोशन किया था। अस्कर मानते हैं कि शिक्षा हर चीज़ बदलने की ताकत रखती है, और इंसान को एक बेहतर भविष्य की तरफ लेकर जाती है। अस्कर खुद अपने आपको इस बात का जीवंत उदाहरण मानते हैं। अस्कर IAS बनने की सफलता को अपने समुदाय की कामयाबी के तौर पर देखते हैं।

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अस्कर के मुताबिक इस बात से कोई फर्क नहीं पड़ता कि आप कहां से आए हैं और आप कौन हैं? जब हम अपनी विविधता की ताकत को समझते हैं, तब हम सबसे तेज़ गति से आगे बढ़ रहे होते हैं। वहीं इस बात को हमेशा याद रखना चाहिए कि एक IAS के रूप में आप हमेशा एक भारतीय हैं और आपको देश के लिए काम करना है।

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