M. Sivaguru Prabhakaran ias : बांस की टोकरी बनाकर मां ने बेटे को पढ़ाया, फुटपाथ पर सोकर बेटा बना IAS अधिकारी

https://ift.tt/JFIf61E

M. Sivaguru Prabhakaran ias : UPSC जैसी परीक्षा की तैयारी करना अपने आप में एक संघर्ष है। लेकिन जब आपको अपना घर भी संभालना हो, आपकी आर्थिक स्तिथि कमज़ोर हो और चाहते हुए भी बड़ी मुश्किल से पढ़ाई के लिए समय निकाल पाएं तो ये जुनून आपको सफलता दिलाता है। आज हम आपको जिस IAS अधिकारी के बारे में बताने जा रहे हैं उनके जीवन में संघर्षों ने पीछा नहीं छोड़ा. इस IAS अधिकारी का नाम एम. शिवागुरु प्रभाकरन है. जिन्होंने मुश्किल हालातों का सामना करते हुए भी सफलता हासिल की. साधारण परिवार से ताल्लुक रखने वाले प्रभाकरन की कामयाबी में उनकी माँ का बड़ा हाथ है.

गरीबी में जी रहे परिवार के भरण पोषण के लिए मां बांस की टोकरियां बेचती थी. जो पैसा आता उससे परिवार को दो वक्त की रोटी मिल जाए वही काफी होता था. लेकिन शिवागुरु प्रभाकरन की मां मजबूत इरादों की वजह से उन्हें पढ़ने का पूरा मौका मिला. मुश्किल हालातों से लड़कर सफलता पाने वाले इस नौजवान की कहानी हर युवा को पढ़नी चाहिए. जहां लोग गरीबी या मुश्किल हालातों के बीच अपने सपनों को छोड़ देते हैं वहीं, प्रभाकरन ने ना सिर्फ उनमें सफलता हासिल की बल्कि टॉपर बनकर एक नजीर भी पेश की है. आइए जानते हैं प्रभाकरन के इस सफर के बारे में

कौन हैं (M. Sivaguru Prabhakaran ias) एम. शिवागुरु प्रभाकरन

तमिलनाडु के थंजावुर जिले के ओट्टंकाडु गांव के रहने वाले प्रभाकरन का बचपन गरीबी में बीता. उनके पिता के शराबी होने के कारण पूरी गृहस्थी खराब हो गयी थी। उनकी माँ को अपने तीन बच्चों को पालने के लिए बहुत संघर्ष करना पड़ा. प्रभाकरन की माँ घर चलाने के लिए नारियल के पत्ते और बाँस की टोकरियाँ बनाकर बेचती थी जिसमें उनकी बड़ी बहन भी माँ की मदद करती थी। उन्होंने अपनी शुरुआती पढ़ाई थंजावुर से ही पूरी की.

बचपन से ही पढ़ाई में अच्छा होने के कारण उन्होंने हाईस्कूल और इंटरमीडिएट की परीक्षा में अच्छे अंक हासिल किए. परिवार के आर्थिक हालात इतने खराब थे कि प्रभाकरन को घर की आर्थिक स्थिति को ध्यान में रखते हुए बारहवीं के बाद अपना इंजीनियर बनने का सपना छोड़कर आरा मशीन में काम करना पड़ा। मजदूरी करने वाले प्रभाकरन अपने जीवन में कुछ बड़ा करना चाहते थे लेकिन उन्हें सही रास्ता नहीं मिल पा रहा था.

M. Sivaguru Prabhakaran ias : बांस की टोकरी बनाकर मां ने बेटे को पढ़ाया, फुटपाथ पर सोकर बेटा बना IAS अधिकारी 1

तभी उनकी मुलाकात उनके एक दोस्त से हुई जिसने उन्हें बताया कि एक मास्टर हैं सेंट थॉमस माउंट जो कि पिछड़े वर्ग के लोगों की मदद करते हैं व ट्रेनिंग की सुविधा देते हैं. दोस्त की बात मानकर प्रभाकरन सेंट थॉमस से मिलने चले गए. वहां से आने के बाद उन्होंने फिर से पढ़ाई की ओर अपना रुख बदल लिया. उन्होंने IIT-JEE की तैयारी शुरू कर दी. मेहनती और होनहार होने की वजह से प्रभाकरन को बहुत ही जल्द IIT-मद्रास की प्रवेश भी मिल गया. यहां से उन्होंने इंजीनियरिंग की पढ़ाई पूरी की और अपना ग्रेजुएशन कंप्लीट किया.

M. Sivaguru Prabhakaran ias : बांस की टोकरी बनाकर मां ने बेटे को पढ़ाया, फुटपाथ पर सोकर बेटा बना IAS अधिकारी 2

हालांकि इस बीच आर्थिक तंगी ने उनका पीछा नहीं छोड़ा और उन्हें शुरुआती दिनों में चेन्नई के रेलवे स्टेशन पर सोना भी पड़ा. IIT मद्रास से B.tech. करने के बाद उन्होंने वहीं से M.tech भी किया. हालांकि इस बीच उन्हें यूपीएससी परीक्षा के बारे में पता चला. एक साक्षात्कार में उन्होंने बताया कि इंजीनियर बनकर वो कुछ ही लोगों की मदद कर सकते थे लेकिन एक आईएएस अधिकारी बनकर वो ज्यादा से ज्यादा लोगों की समस्याओं को हल कर सकते थे इसलिए उन्होंने इंजीनियरिंग की पढ़ाई पूरी करने के बाद ही UPSC परीक्षा की तैयारी शुरू कर दी।

3 बार असफल चौथी बार में सपना पूरा हुआ

शिवागुरु प्रभाकरन को यूपीएससी परीक्षा में सफलता आसानी से नहीं मिली. इंजीनियरिंग से सिविल सेवा में कदम रखने वाले शिवागुरु ने सबसे पहले तो सिलेबस और इसके पैटर्न को अच्छी तरह समझा. फिर NCERT की किताबों का अच्छी तरह से अध्ययन किया. लेकिन सही रणनीति ना होने के कारण उन्हें यूपीएससी परीक्षा में असफलता का लगातार सामना करना पड़ा. साल 2014 में प्रभाकरन ने UPSC का पहला प्रयास किया लेकिन उसमें उन्हें सफलता नहीं मिली.

M. Sivaguru Prabhakaran ias : बांस की टोकरी बनाकर मां ने बेटे को पढ़ाया, फुटपाथ पर सोकर बेटा बना IAS अधिकारी 3

उसके बाद उन्होंने लगातार दो बार और प्रयास किया लेकिन वो परीक्षा पास नहीं कर पा रहे थे. इस बीच उन्हें लगा कि यूपीएससी परीक्षा उनके लिए नहीं है लेकिन उन्होंने हार ना मानते हुए अपनी कोशिश जारी रखी. वो कहते हैं यूपीएससी परीक्षा के लिए सटीक रणनीति बहुत जरूरी होती है. लगातार 3 बार असफल होने पर बात करते हुए वो कहते हैं कि रणनीतिक स्तर पर काम ना कर पाने की वजह से वो असफल हो रहे थे.

101वीं रैंक हासिल कर बने IAS

साल 2017 में शिवगुरु को सफलता हासिल हुई. उन्होंने UPSC परीक्षा में पूरे देश में 101वीं रैंक हसिल हुई. और वो आईएएस अधिकारी बनने के सपने को पूरा किया. बता दें कि साल 2017 में 990 कैंडिडेट्स सेलेक्ट जिनमें एम. शिवागुरु प्रभाकरन भी एक हैं. इनका IAS अधिकारी बनना इनके पूरे क्षेत्र में काफी समय तक चर्चा का विषय रहा.

M. Sivaguru Prabhakaran ias : बांस की टोकरी बनाकर मां ने बेटे को पढ़ाया, फुटपाथ पर सोकर बेटा बना IAS अधिकारी 4

उनकी सफलता पर ना सिर्फ पूरा परिवार खुश हुआ बल्कि उनके गांव के लोग भी अपने इस बेटे पर गर्व महसूस कर रहे हैं. प्रभाकरन उन सब लोगों के लिए मिसाल हैं जो अपने लक्ष्य के बीच में आने वाली बाधाओं को उखाड़ फेंकने की बजाय शांत बैठ जाते हैं और परिस्थितियों से समझौता कर लेते हैं. फिलहाल प्रभाकरन चेन्नई में कार्यरत हैं

The post M. Sivaguru Prabhakaran ias : बांस की टोकरी बनाकर मां ने बेटे को पढ़ाया, फुटपाथ पर सोकर बेटा बना IAS अधिकारी appeared first on INDEPENDENT NEWS.



from INDEPENDENT NEWS https://ift.tt/ctWZpeO
via IFTTT

Comments