IAS Mithun Premraj : 4 बार यूपीएससी परीक्षा में असफलता हासिल करने के बाद भी नहीं टूटा हौसला, 5वें प्रयास में 12वीं रैंक हासिल करने बनें IAS अधिकारी

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IAS Mithun Premraj : जब किसी शख्स को किसी भी चीज की लगन लग जाती है, तभी वो साधारण लोगों से अलग होने लगता है. उसको वो चाहिए होता चाहे उसे पाने में कितनी भी मेहनत, कितना भी समय लगे. आज हम आपको जिस शख्स के बारे में बताने जा रहे हैं उनका नाम मिथुन प्रेमराज है. जिन्होंने यूपीएससी परीक्षा में कई बार असफलता हासिल करने के बाद भी अपना हौसला नहीं खोया. उनकी जिद थी कि वो यूपीएसससी परीक्षा में अच्छी खासी रैंक हासिल कर अपने सपनों को साकार करेंगे.

अपनी इसी जिद को पूरा करने के लिए वो कड़ी मेहनत और लगन के साथ तैयारी करते रहे. आखिर में उन्हें सफलता हासिल हुई. मिथुन की कहानी ऐसे युवाओं के लिए प्रेरणास्त्रोत हो सकती है जो एक या दो बार असफलता मिलने पर अपने सपनों को ओर प्रयास करना छोड़ देते हैं. आइए जानते हैं मिथुन प्रेमराज ने कैसे अपने सपनों को साकार किया.

कौन हैं (IAS Mithun Premraj) आईएएस मिथुन प्रेमराज

मिथुन केरल के कोझीकोड के रहने वाले हैं. मिथुन के पिताजी एक बाल रोग विशेषज्ञ हैं और उनकी बहन मुक्कम के केएमसीटी मेडिकल कॉलेज में रेडियोलॉजी विभाग में एक सीनियर रेजिडेंट डॉक्टर हैं। उनकी शुरुआती पढ़ाई कोझीकोड में ही हुई. हाईस्कूल और इंटरमीडिएट की पढ़ाई पूरी करने के बाद उन्होंने बहन की राह पर चलने का विचार किया. यही वजह थी कि मिथुन ने इंटरमीडिएट की पढ़ाई के बाद मेडिकल फील्ड चुनी और JIPMER से मेडिकल की पढ़ाई पूरी की।

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इसके बाद उन्होंने भारतीय सार्वजनिक स्वास्थ्य संस्थान, नई दिल्ली से सार्वजनिक स्वास्थ्य में डिप्लोमा प्राप्त किया. लेकिन उनका मुकद्दर कुछ और ही था। उन्होंने 2015 में मेडिकल की पढ़ाई पूरी कर ली थी. मिथुन ने एक साक्षात्कार में बताया है कि जब वो मेडिकल की पढ़ाई कर रहे थे उसी दौरान उन्होंने यूपीएससी परीक्षा की तैयारी करने का विचार कर लिया था. उनका सपना था कि वो IAS अधिकारी बनकर ज्यादा से ज्यादा लोगों की सेवा कर सके. इसके बाद उन्होंने अपने सपने के लिए दौड़ शुरू की जिसमें परिवार ने भी उनका पूरा साथ दिया.

लगातार तीन बार साक्षात्कार तक पहुँचे

मिथुन ने जब यूपीएससी परीक्षा की तैयारी शुरू की थी. तब उन्हें इस परीक्षा के बारे में ज्यादा जानकारी नहीं थी. उन्होंने सबसे पहले तो सिलेबस को अच्छी तरह से समझा और उस आधार पर तैयारी करना शुरू कर दिया. उन्होंने सबसे पहले तो एनसीआरटी की किताबें लेकर अपना बेसिक मजबूत किया. वो कहते हैं कि खुद को अपडेट रखने के लिए वो रोजाना न्यूजपेपर पढ़ा करते थे.

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साल 2016 में पहली बार सिविल सेवा की परीक्षा दी लेकिन अपने प्रथम प्रयास में वो सफल न हो सके. इसके बाद लगातार तीन बार साल 2017, साल 2018 और साल 2019 में वो परीक्षा देने पहुँचे और तीन साल लगातार इंटरव्यू राउंड तक पहुँच कर बाहर हो गए. लेकिन मिथुन ऐसी लगन के साथ सिविल सेवा परीक्षा की इस दौड़ में कूदे थे कि हार मान लेना तो सिलेबस में ही नहीं था और फिरसे वो नये जोश के साथ परीक्षा देने को तैयार हो गए।

5वें प्रयास में बने IAS अधिकारी

लगातार चार बार फेल होने के बावजूद मिथुन ने तैयारी करने का अपना तरीका नहीं बदला, उनका कहना है कि मुझे विश्वास था कि यही तरीका सबसे बेहतर और कभी न कभी ज़रूर काम करेगा और इसी विश्वास के साथ मिथुन आगे बढ़कर तैयारी करते रहे। साल 2020 में मिथुन 12वीं रैंक के साथ परीक्षा पास करते हैं और IAS अधिकारी बन गए.

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मिथुन बताते हैं कि तैयारी के समय अभ्यार्थी को बाहरी दुनिया से उतना ही ताल्लुक रखना चाहिए जितना ज़रूरी हो और जी-जान से अपने लक्ष्य की ओर बढ़ना चाहिए. अपना व्यक्तिगत अनुभव साझा करते हुए वो कहते हैं कि जब आप लगातार हारने लग जाते हैं तो एक डर मन में घर करने लग जाता है कि यदि मैं ये नहीं कर पाया तो आगे क्या होगा लेकिन साथ ही साथ एक जुनून भी आ जाता है कि अबकी बार तो करना ही है.

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