ifs p balamurugan : मां ने गहने बेचकर बेटे को पढ़ाया, पहले बना इंजीनियर फिर IFS अधिकारी बनकर किया नाम रोशन

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ifs p balamurugan : ‘लहरों से डर कर नौका पार नहीं होती, कोशिश करने वालों की कभी हार नहीं होती है’ कवि सोहन लाल द्विवेदी द्वारा लिखी गई यह पंक्तियां पूरी तरह से सच हैं। मुश्किल समय में हिम्मत हारे बगैर जो परिश्रम करते रहते हैं उन्हें सफलता अवश्य हासिल होती है। इस बात को पूरी तरह से सच साबित करती है आईएफएस ऑफिसर पी बालमुरुगन की कहानी।

पी बालमुरूगन एक ऐसे परिवार से ताल्लुक रखते हैं जोकि आर्थिक रूप से बहुत कमजोर था. पिता नशा करते थे और परिवार में करीब 8-10 लोग थे. ऐसे में बालमुरुगन को पेपर बेचना पड़ा और बुरे हालातों का सामना करते हुए पढ़ाई करनी पड़ी. हालांकि उन्होंने हिम्मत ना हारते हुए अपनी पढ़ाई जारी रखी. कड़ी मेहनत और लगन की बदौलत उन्होंने यूपीएससी जैसी कठिन परीक्षा में सफलता हासिल की. आइए जानते हैं बालमुरुगन के रोचक सफर के बारे में

कौन हैं (ifs p balamurugan) आईएफएस पी बालमुरुगन

पी बालमुरूगन का जन्म चेन्नई के कीलकातलाई के एक बेहद साधारण परिवार में हुआ था। इनका बचपन बहुत ही कठिनाइयों में बीता। इनके घर की आर्थिक स्थिति बहुत ही खराब थी इसके साथ ही इनके पिता को नशे की बुरी लत थी। साल 1994 में इनके पिता घर छोड़ कर चले गए। आठ बच्चों के परिवार का पालन पोषण करना इनके मां के लिए बेहद कठिन था। परिवार की हालत इतनी खराब थी कि मां को अपने जेवर बेचकर परिवार का खर्च चलाना पड़ा।

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ऐसी कठिन परिस्थितियों में पढ़ाई के लिए खर्च निकाल पाना बेहद मुश्किल था। अतः अपनी पढ़ाई को जारी रखने के लिए पी बलमुरूगन ने मात्र 9 साल की उम्र में ₹300 प्रति माह पर अखबार बेचना शुरू किया। न्यूज़पेपर बेचकर जो पैसा मिलता था उससे वह अपने स्कूल की फीस भरा करते थे। न्यूज़पेपर बेचना उनकी जिंदगी का एक टर्निंग प्वाइंट था। क्योंकि अखबार बेचते बेचते ही उन्हें अखबार पढ़ने का भी शौक पड़ गया। यहीं से उनके मन में सिविल सर्विसेज के प्रति रुझान पैदा हुआ। इंटरमीडिएट तक की पढ़ाई पूरी करने के बाद इन्होंने मद्रास इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी में इंजीनियरिंग के लिए प्रवेश लिया। यहीं से कैंपस सिलेक्शन के जरिए इन्हें टीसीएस में नौकरी मिली।

अच्छी खासी नौकरी छोड़कर शुरु की upsc परीक्षा की तैयारी

नौकरी अच्छी थी और तनख्वाह लाखों में थी लेकिन बचपन में देखा गया यूपीएससी का सपना अभी भी इनकी आंखों में था। लेकिन परिवार की जिम्मेदारियों को ध्यान में रखते हुए उन्होंने अपनी नौकरी को जारी रखा। बाद में जब इनकी बड़ी बहन की भी नौकरी लग गई और परिवार को आय का दूसरा साधन मिल गया. तब इन्होंने नौकरी छोड़ यूपीएससी की तैयारी करने का फैसला लिया।

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यूपीएससी की तैयारी के लिए पी बालमुरूगन ने चेन्नई की एक कोचिंग संस्थान में दाखिला ले लिया और यूपीएससी की तैयारी शुरू कर दिया। इन्होंने साल 2015 में यूपीएससी की तैयारी शुरू की। 3 साल के कठिन परिश्रम के बाद साल 2018 में इन्हें यूपीएससी की परीक्षा में सफलता हासिल हुई।

upsc परीक्षा में सफलता हासिल कर बनें IFS अधिकारी

पी बालमुरूगन का साल 2018 में यूपीएससी की परीक्षा में चयन हुआ। भारतीय वन सेवा (IFS) अधिकारी के पद पर इनकी नियुक्ति हुई। आज ये एक वन्य अधिकारी के रूप में देश की सेवा कर रहे है। IFS अधिकारी पी बालमुरूगन ने अपनी सफलता से यह साबित कर दिया है कि राह में कितनी भी बड़ी कठिनाइयां आए लेकिन अगर मन में निष्ठा और विश्वास हो और सच्ची लगन से प्रयास किया जाए तो किसी भी इंसान को सफल होने से कोई रोक नहीं सकता है।

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