Asha Kandara RAS : पति ने छोड़ा तो बच्चों की परवरिश के लिए सड़कों पर लगाई झाडू, मेहनत और विश्वास के दम पर सफाईकर्मी बनी अधिकारी

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Asha Kandara RAS : कहते हैं कि अगर किसी चीज को पाने के लिए आप में दृढ़ संकल्प और जज्बा हो तो पूरी कायनात उसे आपसे मिलाने में लग जाती है.आज हम आपको ऐसी ही एक राजस्थान प्रशासनिक सेवा में तैनात महिला एसडीएम के बारे में बताने जा रहे हैं जिन्होंने विषम परिस्थितियों में आर्थिक तंगी को झेलते हुए और अपने परिवार का पालन पोषण करते हुए राजस्थान प्रशासनिक सेवा में सफलता हासिल की और वर्तमान में बतौर उप जिला अधिकारी (एसडीएम) के रूप में कार्यरत हैं।

हम अक्सर अखबारों में पढ़ते और देखते हैं कि किसी जूते वाले, किसी रिक्शेवाले या किसी ढाबे वाले की बेटे या बेटी ने किसी प्रतिष्ठित परीक्षा को पास करके सफलता हासिल की है. लेकिन आज हम आपको ऐसी शख्सियत के बारे में बताएंगे जिन्होंने राजस्थान की सड़कों पर झाड़ू लगाते हुए मतलब सफाईकर्मी के तौर पर कार्य करते हुए राजस्थान प्रशासनिक सेवा की परीक्षा को पास किया है. जिनका नाम आशा कंडारा है. इन्होंने साबित कर दिया है कि मेहनत कभी किसी की मोहताज नहीं होती है. आइए जानते हैं कौन है आशा कंडारा जिन्होंने राजस्थान की सड़कों पर झाड़ू लगाने से लेकर एसडीएम बनने तक का सफर तय किया।

कौन है (Asha Kandara RAS) आशा कंडारा

आशा कंडारा राजस्थान के जोधपुर जिले के एक छोटे से मोहल्ले बड़वासिया से ताल्लुक रखती हैं. आशा कंडारा के परिवार में माता-पिता ,भाई और इनकी एक बेटी और एक बेटा है। आशा के पिता का नाम राजेंद्र है. पिता राजेंद्र लेख सेवा विभाग से रिटायर है. इनके भाई का नाम धर्मेंद्र है. इनकी बेटी पल्लवी और बेटा ऋषभ है। आशा कंडारा की शादी 1997 में जोधपुर के ही एक शख्स से हो गई थी. लेकिन शादी के लगभग 5 साल बाद आपसी अनबन की वजह से इनके पति ने इन्हें छोड़ दिया. जिससे मानो उनके ऊपर दुखों का पहाड़ टूट पड़ा.

Asha Kandara RAS : पति ने छोड़ा तो बच्चों की परवरिश के लिए सड़कों पर लगाई झाडू, मेहनत और विश्वास के दम पर सफाईकर्मी बनी अधिकारी 1

फिर भी उन्होंने हार नहीं मानी और अपनी परिवार का पालन पोषण करते हुए कुछ बड़ा करने का सोचा और राजस्थान प्रशासनिक सेवा की तैयारी में जुट गई। आशा ने अपने एक साक्षात्कार में बताया हैं कि जिस दौरान उनके पति ने उनको छोड़ा था तब वो अपना और अपने बच्चों का पालन पोषण करने के लिए सरकारी नौकरी तलाश कर रही थी. जिसके लिए उन्होंने एसएससी (कर्मचारी चयन आयोग) की तैयारी शुरु कर दी. एसएससी की परीक्षा के अलावा जितनी भी सरकारी नौकरी के लिए फॉर्म आते गए इन्होंने सभी फॉर्म भरे. फिर इन्होंने सोचा कि क्यों ना कुछ बड़ा किया जाए और फिर ये राजस्थान प्रशासनिक सेवा की परीक्षा में जुट गई।

जोधपुर की सड़कों पर लगाई झाडू

आशा कंडारा और पति के बीच में अलगाव होने के बाद बच्चों की परवरिश की जिम्मेदारी इनके सिर आ गई. जिसके बाद मानो इनका जीवन संघर्षों से भर गया फिर भी इन्होंने हार नहीं मानी बेटा ऋषभ और बेटी पल्लवी की परवरिश करते हुए तैयारी जारी रखी. इस दौरान इनकी आर्थिक परिस्थितियां बिल्कुल ठीक नहीं थी.

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इन्होंने अपना और बच्चों का पालन पोषण करने के लिए जोधपुर की सड़कों पर झाड़ू लगाने का काम शुरू कर दिया और ये 8 घंटे की नौकरी के साथ राजस्थान प्रशासनिक सेवा की तैयारी करती रही. लेकिन इनकी ये नौकरी भी दैनिक वेतन पर थी. इनके राजस्थान प्रशासनिक सेवा के नतीजे आने के मात्र 12 दिन पहले इन्हें इस नौकरी में सरकारी सफाईकर्मी बना दिया गया.

सफाई कर्मी से कैसे बनी एसडीएम

आशा कंडारा 2016 से ही सफाईकर्मी के पद पर कार्य करते हुए राजस्थान प्रशासनिक सेवा की तैयारी कर रही थी. यह जोधपुर के पावटा की सड़कों पर 8 घंटे झाड़ू लगाने का काम करने के साथ बच्चों की परवरिश करते हुए राजस्थान प्रशासनिक सेवा की तैयारी करती थी. इन्होंने अपनी मेहनत और लगन के बल पर साल 2018 की राजस्थान प्रशासनिक सेवा की परीक्षा को पास किया. राजस्थान प्रशासनिक सेवा ने हाल ही 2018 परीक्षा के नतीजों की घोषणा की है. इस परीक्षा में आशा को 700 से अधिक रैंक (Asha Kandara RAS rank) मिली है. इस परीक्षा को पास कर उन्होंने अपने नाम के आगे एसडीएम का पद हासिल कर लिया है.

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ट्रैनिंग पूरी करने के बाद आशा एसडीएम का कार्यभार संभालेंगी। आशा के लिए यह इतना आसान नहीं था इन्होंने जीवन में बहुत सारी चुनौतियों का सामना किया, लेकिन अपने जज्बे और आत्मविश्वास को अडिग रखा। आशा युवाओं के लिए एक प्रेरणास्रोत हैं. उनका संघर्ष बताता है कि परिस्थितियां चाहे जितनी प्रतिकूल हो जायें अगर आपके मन में अपने लक्ष्य को पाने का दृढ़ संकल्प है, तो आप अपने लक्ष्य की प्राप्ति कर सकते हैं।

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