Farmer Rajiv Bittu : लोगों ने कहा खेती-बाड़ी में कुछ नहीं रखा है, जैविक खेती कर इस चार्टर्ड अकाउटेंट ने बेची 50 लाख की फसल
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Success story of Farmer Rajiv Bittu : हमारा देश कृषि प्रधान देश हैं. भले ही हम दुनिया में कितना भी आगे बढ़ चुके हो, मंगल ग्रह तक पहुंच चुके हो, लेकिन देश तो खेती करने वाले किसानों से ही चलता है. खेती करना एक कला है. जहां काफी लोग खेती से दो वक्त की रोटी ही जुटा पाते हैं वहीं कुछ लोग खेती कर लाखों रुपयों का व्यापार कर लेते हैं. जिन किसानों में मौसम और फसल की समझ होती है वो किसान अच्छा खासा मुनाफा निकाल लेते हैं. यानि आज के समय खेती करने से पहले सही जानकारी का होना बहुत जरूरी है.
आज हम आपको एक ऐसे युवा की कहानी बताने जा रहे हैं जिन्होंने चार्टेड अकाउंट (Chartered Accountants) की अच्छी खासी नौकरी छोड़कर खेती करना पसंद किया. इस युवा किसान का नाम राजीव बिट्टू है जो जैविक खेती करके लाखों रुपयों की आमदनी कर रहे हैं. राजीव के अनुसार वो खेती कर करीब 50 लाख से भी अधिक रुपयों की कमाई कर लेते हैं. वो अपनी खेती को पारंपरिक ढंग से बिना किसी रसायनिक उर्वरक के इस्तेमाल कर करते हैं. आइए जानते हैं कैसे ये युवा किसान लाखों रुपयों की कमाई कर पा रहा है…
कौन हैं (Farmer Rajiv Bittu) राजीव बिट्टू
बिहार के गोपालगंज जिला के रहने वाले राजीव बिट्टू का परिवार काफी बड़ा है. वो अपने भाइयों और बहनों के साथ में रहते हैं. राजीव सभी भाइयों बहनों में उम्र में सबसे बड़े हैं. उन्होंने अपनी शुरुआती पढ़ाई बिहार के ही एक छोटे से स्कूल में रहकर की. फिर उन्होंने ग्रेजुएशन झारखंड से की. इसके बाद उन्होंने (Farmer Rajiv Bittu education) रांची में जाकर भी कुछ दिनों पढ़ाई की. आईआईटी की तैयारी भी की लेकिन सफलता ना मिलने के बाद उन्होंने बीकॉम में दाखिला ले लिया.
उन्होंने उसी साल CA (Rajiv Bittu) के लिए फार्म भरकर पढ़ाई शुरू कर दी. अपनी बीकॉम की पढ़ाई के दौरान वो रांची में ही थे. उनकी पत्नी का नाम रश्मि सहाय है जो कि पेशे से एक प्लास्टिक इंजीनियर हैं. राजीव एक NGO भी चलाते हैं जो किसानों को जरूरी जानकारी वगैरह देने के काम आता है. उनके उस NGO का “अंकुर रूरल एंड ट्राईबल डेवलपमेंट सोसाइटी” ( Ankur Rural And Trible Development Society) है।
प्राइवेट कंपनी में CA बनकर कमाते थे 40 हजार
राजीव बिट्टू ने खेती में अपने करियर की शुरुआत रांची से ही कर दी थी. उन्होंने रांची के एक ब्लॉक में ओरमांझी में लीज़ पर खेती लेकर शुरु किया था. इस दौरान वो चार्टेड अकाउंटेंट बन चुके थे. चार्टेड अकाउंटेंट के तौर पर उनकी एक कंपनी में नौकरी लग गई थीं. 2003 में उन्हें 40 हजार का वेतन मिलता था. लेकिन खेती में ज्यादा मुनाफा देखकर उन्होंने खेती करने का निश्चय किया. राजीव कहते हैं कि किसान हमें खाना मुहैया कराते हैं. वो गर्मी, ठंडी, बरसात और धूप छांव को देखे बगैर फूल, फूल, सब्जियां और अनाज उगाते रहते रहते हैं. अगर किसान ना हों तो हमारी बुनियादी जरूरतें पूरी ना हो पाएं.
उन्होंने खेती में अपने करियर की शुरुआत 2013 में की थी. एकबार वो झारखंड को छोड़कर वापस कुछ दिनों के लिए गोपालगंज में आ गए. उस दौरान राजीव एक बेटी के पिता भी बन चुके थे. वो बताते हैं कि उनकी बेटी को गांव का माहौल बहुत पसंद आया लेकिन जब एक किसान पड़ोसी उनसे मिलने आए तो उन्होंने राजीव की बेटी को अपनी गोद में उठा लिया. बेटी को किसान के गंदे कपड़े अच्छे नहीं लग रहे थे. राजीव ने सोचा अगर आज बच्चे किसानों को लेकर ऐसी धारणा बनाएंगे तो आगे क्या होगा !
इसके बाद उन्होंने पूरी तरह निश्चय हो गए कि वो किसानी ही करेंगे ताकि उनके बच्चे किसानों का महत्व जान सकें. उन्होंने अपने खेतों में काम करना शुरु कर दिया. सबसे पहले उन्होंने खेती के संबंध में जानकारियां इकठ्ठा करना शुरु कर दिया. इसके लिए वो कृषि विभाग में जाकर अधिकारियों से उच्च खेती करने के गुढ़ सीखना शुरु कर दिया. उन्होंने खेती के लिए रांची से 28 किलोमीटर दूर गांव में एक किसान से जमीन लीज पर लेली. राजीव ने उस किसान से करीब 10 एकड़ जमीन लीज़ पर लिया था. इस खेती में उस किसान को मुनाफे में 33 फीसदी हिस्सेदारी भी देनी थी. राजीव ने सारी कानूनी कार्यवाही करते हुए जमीन किसान से ले लिया
राजीव ने इस जमीन में जैविक खेती करना शुरु कर दिया. उन्होंने इन खेतों में करीब 2.5 लाख रुपए खर्च किए. राजीव ने रासायनिक उर्वरक की बजाय जैविक उर्वरक का उपयोग शुरु किया. 7 एकड़ में खरबूजा और तरबूज की खेती की. उन्हें इस फसल से करीब 19 लाख रुपए का फायदा हुआ. बटवारे का सारा रुपए और खर्च निकालते हुए उन्हें करीब 7-8 लाख रुपए का फायदा हुआ.
इससे राजीव का खेती की तरफ मनोबल बढ़ गया. फसल के लिए वो अलग-अलग तरीके खोजने लगें. उन्होंने खेतों में कामकाज के लिए करीब 45 मजदूरों को रख लिया. ऐसी ही खेती उन्होंने 2016 में की जिसमें उन्हें करीब 40-50 लाख रुपए का मुनाफा हुआ. राजीव का अगला लक्ष्य करीब 1 करोड़ रुपए का है. राजीव अपने 2 दोस्तों के साथ खेती करते हैं. 37 साल के देवराज और 33 साल के शिवकुमार. वो अपने दोस्तों के साथ करीब 32 एकड़ की खेती संभाल रहे हैं. राजीव उन सभी किसानों के लिए एक प्रेरणा है जो सोचते हैं की खेती बाड़ी में कुछ नहीं रखा है.
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