IAS Anoop kumar singh : मां की सेवा के लिए IAS अधिकारी ने ठुकरा दी कलेक्टर की नौकरी, सरकार ने बदला आदेश

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IAS Anoop kumar singh : कभी आपके लिए पद और प्रतिष्ठा से ज्यादा आपके लिए आपका घर और परिवार होता है। आप उस परिवार के लिए कितना भी बड़ा पद ठुकरा देते हैं। कुछ ऐसा ही उदाहरण हम लोगो के सामने पेश किया है। आईएएस अधिकारी अनूप कुमार सिंह ने। जिन्होंने अपनी बीमार माँ की सेवा के लिए कलेक्टर जैसा पद ठुकरा दिया। तो आइए जानते है आईएएस अफसर अनूप कुमार सिंह के बारे में और आखिर मां की सेवा के लिए क्यों छोड़ा कलेक्टर का पद ?

मध्यप्रदेश के जबलपुर जिले में अपर कलेक्टर के पद पर पदस्थ अनूप 2013 बैच के आईएएस (IAS Anoop kumar singh) अधिकारी हैं। 7 मई को अनूप कुमार सिंह को सरकार ने दमोह के कलेक्टर पद पर नियुक्त किया था। उन्होंने इस पद को स्वीकार करने से इनकार कर दिया।

कौन हैं आईएएस अनूप कुमार सिंह

अनूप 2013 बैच के युवा अफसरों में से एक हैं। अनूप मूलतः कानपुर उत्तर प्रदेश के निवासी हैं। अनूप बचपन से पढ़ने-लिखने में काफी अच्छे थे। वो बचपन से ऐसा कुछ करना चाहते थे जिसके द्वारा वह समाज की सेवा कर सके। इसलिए उन्होंने सिविल सर्विसेज की राह चुनी।

इसके लिए वह जी-जान से जुट गए और आईएएस बन गए। अनूप के बारे में उनके परिवार वाले और उनके मित्र बताते हैं कि अनूप बचपन से काफी शान्त और गंभीर स्वाभाव के थे। स्कूल में वह (IAS Anoop kumar singh) बहुत सारे गंभीर और सामाजिक मुद्दे पर चर्चा करते थे। अनूप काम के प्रति काफी ईमानदार रहे।

IAS Anoop kumar singh को माँ से विशेष लगाव

अनूप सिंह को घर से ही संस्कार सीखने को मिला। अनूप को अपनी माँ से विशेष लगाव है। वह बचपन में जब छोटे थे और स्कूल से आने के बाद मां की गोद में बैठ जाते। उनकी माँ उन्हें घंटों समाज के बारे में और घर परिवार के बारे में बताती थी। अनूप को समाज और घर परिवार की बातों में काफी दिलचस्पी रहती थी। तभी से अनूप को अपनी माँ से विशेष लगाव हो गया।

काम के प्रति ईमानदार और पाबंद अधिकारी की छवि

अनूप सिंह जबलपुर में अपर कलेक्टर बनने से पहले, जबलपुर में ही नगर निगम में कमिश्नर पद थे। उनके बारे में लोग बताते है अनूप सिंह छवि एक ईमानदार और शख्त तथा समय पाबंद अधिकारी की है। उन्होंने जबलपुर नगर निगम में कमिश्नर रहते हुए कई उल्लेखनीय कार्य किये हैं।

माँ के बीमार होने पर सारा ध्यान उनकी सेवा पर दिया

सब कुछ सही चला रहा था। एक दिन उनकी माँ की ताबियत खराब हो गयी। अनूप (IAS Anoop kumar singh) माँ की सेवा में लग गए। माँ की तबियत कुछ ठीक होने लगी। लेकिन फिर भी वह पूरी तरह सही नही हो सकी। अनूप को काफी परेशानी होने लगी उन्होंने माँ के बिना खुद की कल्पना नहीं की थी।

वह माँ की तकलीफ देख नही सकते थे। इसी बीच उनकी नौकरी में अच्छे कार्यो को देख कर सरकार ने उन्हें अपर कलेक्टर से कलेक्टर पद पर प्रोमोशन कर दिया।

माँ की सेवा एक लिए जब छोड़ दिया कलेक्टर पद

अनूप अपनी बीमार माँ की सेवा में जी-जान से जुटे रहे। जब इन्हें दमोह का जिला का कलेक्टर बनाया गया तो वह और परेशान हो गए। अगर वह दमोह जाते हैं तो उनकी माँ की सेवा को करेगा। फिर उन्होंने सरकार को एक लेटर लिख कर यह बताया की वह अपनी माँ की देखभाल में व्यस्त हैं। वह इस स्थिति में यह पद ग्रहण नही कर सकते। इनके इस आग्रह के बाद सरकार ने उनकी बात मान ली और अपने आदेश को निरस्त कर दिया। उनकी जगह एस कृष्ण चैतन्य को दमोह का कलेक्टर बनाया गया।

उनके इस पत्र के बारे में लोगों को पता चलने के बाद उनकी चर्चा हर तरफ हो रही है। लोग उनकी तारीफ कर रहे है और कह रहे हैं कि जिस पद पर हर कोई बैठना चाहता है और जिस पद को पाने के लिए काफी पापड़ बेलने पड़ते हैं । उन्होंने उस पद को अपनी माँ की सेवा के लिए त्याग दिया। अनूप आज कई युवाओं के रोल मॉडल हैं। उन्होंने नौकरी और प्रतिष्ठा से पहले माता-पिता को सबसे पहले रखा.

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